इस बार 30 मई को शनि जयंती और सोमवती अमावस्या के महासंयोग के साथ दो खास योग भी बन रहे हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर दान पुण्य करने से पुण्य फल प्राप्त होता हैं। सोमवार को लगने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इसका धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है।
माना जाता है कि अमावस्या के दिन व्रत पूजन और पितरों को जल तिल देने से बहुत पुण्य मिलता है। भारतीय प्राच्य विद्या सोसाइटी के प्रतीक मिश्रपुरी के अनुसार भारतीय ज्योतिष शास्त्र में योग नक्षत्र दिवस करण आदि के आधार पर वार त्योहार का महत्व बताया जाता है, अमावस्या तिथि विशिष्ट तिथियों की श्रेणी में आती है, वहीं स्थिति के साथ लगने वाला दिवस इसके महत्व को बढ़ाता है।

यदि सोमवार या शनिवार के दिन होती है तो उस तिथि का महत्व बढ़ जाता है और चंद्र की प्रधानता हो जाती है, इस बार सोमवार के दिन अमावस्या होने से यह सोमवती अमावस्या कहलाएगी।इस दृष्टि से चंद्र बुध आदित्य योग बन रहा है चंद्र और सूर्य का साथ में होना पितरों की उन्नति के मार्ग में अनुकूलता प्रदान करता है