Big Breaking: उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025 पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, आरक्षण प्रक्रिया में खामी बनी वजह।

त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पर HC की सख्ती। आरक्षण रोटेशन नियमावली के अभाव में कोर्ट का बड़ा फैसला

नैनीताल: उत्तराखंड में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 पर संकट के बादल छा गए हैं। नैनीताल हाईकोर्ट ने आरक्षण की नियमावली को लेकर गड़बड़ियों के चलते पूरी चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार द्वारा आरक्षण नियमावली की अधिसूचना जारी नहीं किए जाने के कारण हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए यह फैसला सुनाया।

सरकार ने नियमों के बगैर निकाली अधिसूचना

शनिवार को ही राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की थी, लेकिन आज हाईकोर्ट की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि आरक्षण रोटेशन प्रक्रिया नियमों के अनुरूप नहीं है।

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मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने राज्य सरकार से स्थिति स्पष्ट करने को कहा था, लेकिन सरकार स्थिति स्पष्ट करने में असफल रही। इसके बावजूद चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी गई, जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया और पूरी चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगा दी।

क्या था मामला: लगातार एक ही सीट आरक्षित रखने पर आपत्ति

बागेश्वर निवासी गणेश दत्त कांडपाल सहित अन्य याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि 9 जून 2025 को राज्य सरकार ने नई आरक्षण नियमावली बनाई, जबकि 11 जून को एक नया आदेश जारी कर पूर्व में लागू आरक्षण रोटेशन को शून्य घोषित कर दिया।
याचिकाकर्ता का आरोप था कि इस निर्णय के चलते तीन बार आरक्षित रही सीटें इस बार भी आरक्षित कर दी गई हैं, जिससे सामान्य वर्ग के लोगों को चुनाव लड़ने का अवसर नहीं मिल रहा है। उन्होंने इसे न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध बताया।

खंडपीठ और एकलपीठ में दायर मामले

राज्य सरकार ने कोर्ट में बताया कि इसी विषय पर कुछ मामले हाईकोर्ट की एकलपीठ में भी लंबित हैं, जबकि याचिकाकर्ता पक्ष का कहना था कि उन्होंने खंडपीठ में 9 जून को जारी आरक्षण नियमावली को भी चुनौती दी है। एकलपीठ में केवल 11 जून के आदेश को चुनौती दी गई है। कोर्ट ने माना कि आरक्षण नीति को लेकर स्पष्टता का अभाव है, इसलिए चुनावों को आगे बढ़ाना ही उचित होगा।

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21 जून को जारी हुई थी अधिसूचना, 25 जून से शुरू होने थे नामांकन

राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा 21 जून को पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी की गई थी। इसके तहत उत्तराखंड के 12 जिलों (हरिद्वार को छोड़कर) में दो चरणों में चुनाव प्रस्तावित थे।

  • 25 से 28 जून: नामांकन
  • 29 जून – 1 जुलाई: नामांकन पत्रों की जांच
  • 2 जुलाई: नाम वापसी
  • 3 जुलाई: चुनाव चिन्ह का आवंटन
  • 10 जुलाई: पहले चरण का मतदान
  • 15 जुलाई: दूसरे चरण का मतदान
  • 19 जुलाई: मतगणना और परिणाम

लेकिन 23 जून को कोर्ट के आदेश के बाद यह पूरी प्रक्रिया अब स्थगित कर दी गई है।

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अब आगे क्या?

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले पर जवाब मांगा है। जब तक आरक्षण की प्रक्रिया नियमों के अनुरूप नहीं बनाई जाती, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव आयोजित नहीं किए जा सकेंगे। इससे गांव-स्तर पर प्रशासनिक गतिविधियों और पंचायती राज व्यवस्था पर असर पड़ सकता है।

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