ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में बड़ी उपलब्धि- रेल सुरंग का निर्माण तय समय से पहले पूरा।

14.57 किलोमीटर लंबी सुरंग बनी सबसे बड़ी उपलब्धि

उत्तराखंड: देवप्रयाग और जनासू के बीच 14.57 किलोमीटर लंबी भारत की सबसे बड़ी रेल सुरंग का निर्माण तय समय से पहले पूरा हो गया है। यह सुरंग महत्वाकांक्षी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना (125 किमी) का अहम हिस्सा है। इस परियोजना को दिसंबर 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य है। रेल विकास निगम लिमिटेड और एलएंडटी (L&T) ने मिलकर इस चुनौतीपूर्ण कार्य को अंजाम दिया।

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निर्माण के दौरान जर्मन निर्मित टनल बोरिंग मशीन (TBM) का उपयोग किया गया। यह पहली बार है जब हिमालयी क्षेत्र में TBM तकनीक से रेलवे सुरंग बनाई गई। एलएंडटी टीम ने बताया कि कुल 30 किमी सुरंगों में से 70% TBM और 30% ड्रिल-ब्लास्ट तकनीक से बनाई गई हैं। इस सुरंग का काम 16 अप्रैल 2025 को 12 दिन पहले ही पूरा कर लिया गया।

भूस्खलन बना सबसे बड़ी चुनौती

निर्माण कार्य के दौरान टीम को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। TBM ऑपरेटर बलजिंदर सिंह और राम अवतार सिंह राणा के अनुसार, एक समय सुरंग में अचानक भूस्खलन हो गया। सामान्यतः TBM को 50-60 हजार किलो न्यूटन की ताकत से चलाया जाता है, लेकिन उस वक्त इसे 1.3 लाख किलो न्यूटन क्षमता पर चलाना पड़ा। लगातार 10 दिनों तक दिन-रात 12-12 घंटे की शिफ्ट में मशीन चलाकर सुरंग निर्माण को पूरा किया गया।

गढ़वाल के पांच जिलों को जोड़ेगी 126 किमी लंबी लाइन

यह महत्वाकांक्षी Rishikesh-Karnaprayag Rail Project गढ़वाल मंडल के पांच जिलों को जोड़ेगी। परियोजना पूरी होने पर यात्रियों और पर्यटकों को तेज़, सुगम और सुरक्षित यात्रा का विकल्प मिलेगा।इस परियोजना के अंतर्गत 12 स्टेशन और कई सुरंगों का निर्माण किया जा रहा है। वर्ष 2018 में शुरू हुई इस परियोजना में अब तक दो स्टेशन तैयार हो चुके हैं और 2020 से ट्रेनों का संचालन शुरू भी हो चुका है। शेष 11 स्टेशनों पर कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है।

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रेलवे लाइन पूरी होने पर उत्तराखंड में पर्यटन और धार्मिक यात्रा (Char Dham Yatra) को नई रफ्तार मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि 2026 तक पूरी तरह से ट्रेनों का संचालन शुरू हो जाएगा, जिससे स्थानीय लोगों और पर्यटकों को बड़ा लाभ मिलेगा।

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