गणेश जोशी चौतरफा घिरे, आय से अधिक संपत्ति मामले में हाईकोर्ट की सख्ती।

23 जुलाई तक काउंटर एफिडेविट दाखिल करने के निर्देश, हाईकोर्ट ने भी कसा शिकंजा

राजनीतिक सफर के साथ बढ़ती संपत्ति पर उठा सवाल

देहरादून: उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी अब कानूनी घेरे में आ गए हैं। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ दाखिल आय से अधिक संपत्ति मामले में सुनवाई शुरू कर दी है। कोर्ट ने उन्हें 23 जुलाई तक काउंटर एफिडेविट (जवाबी हलफनामा) दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिसमें उन्हें यह बताना होगा कि उन्होंने 9 करोड़ रुपये की संपत्ति आखिर कैसे अर्जित की।

15 साल में बने करोड़पति, अब हलफनामा बन गया सिरदर्द

गणेश जोशी ने 2022 विधानसभा चुनाव में अपने नामांकन पत्र के साथ 9 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी। यह वही हलफनामा है, जिसे आधार बनाकर RTI कार्यकर्ता विकेश नेगी ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की।

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याचिकाकर्ता का आरोप है कि एक सार्वजनिक प्रतिनिधि के तौर पर गणेश जोशी की आय उतनी अधिक नहीं हो सकती, जितनी संपत्ति उन्होंने घोषित की है। इस पर अब न्यायालय ने भी गंभीरता दिखाई है।

हाईकोर्ट ने माना याचिका को सुनवाई योग्य

मामले की सुनवाई जस्टिस विवेक भारती की एकल पीठ में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट नलिन ने पैरवी की। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए याचिका को सुनवाई के योग्य माना और गणेश जोशी को नोटिस जारी कर जवाब माँगा, जिसे उनके वकील ने अदालत में स्वीकार भी किया।

कई विवादों में पहले से घिरे हैं गणेश जोशी

गणेश जोशी का नाम हाल ही में कई विवादों और घोटालों में सामने आया है:

  1. उद्यान घोटाला: जहां प्रदेश की कुल भूमि से तीन गुना अधिक फलदार पौधे लगाने का दावा किया गया।
  2. सैन्य धाम निर्माण में अनियमितता।
  3. जैविक खेती के नाम पर विदेश यात्रा।
  4. कृषि मेले में अनियमितताएं: जिनके चलते हाल ही में मेला रद्द करना पड़ा।

इन सभी मामलों ने मंत्री की साख पर सवाल खड़े किए हैं।

मुख्यधारा मीडिया पर भी लगे सवाल

RTI कार्यकर्ता विकेश नेगी ने मुख्यधारा मीडिया पर भी निशाना साधते हुए कहा कि “गणेश मीडिया” के सहारे मंत्री ने खुद को बचाने की कोशिश की, लेकिन अब न्यायपालिका के दायरे में आने से बच नहीं पाएंगे।

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गणेश जोशी आय से अधिक संपत्ति मामला अब राजनीतिक बहस से निकलकर न्यायिक प्रक्रिया में प्रवेश कर चुका है। कोर्ट की सख्ती से साफ है कि यदि मंत्री उचित स्पष्टीकरण नहीं दे पाए, तो आने वाले दिनों में यह मामला उनके राजनीतिक भविष्य के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है।

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