नई दिल्ली: शेयर बाजार ने शुक्रवार के दिन नेगिटिव जॉन में रहकर निवेशकों की कमर तोड़कर रख दी है। यदि बाद की जाए पिछले 5 महीने की तो इस दौरान निवेशकों को 95 लाख करोड रुपए का नुकसान हो चुका है। बीते साल 27 सितंबर को दोनों सूचकांक अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचे थे। सेंसेक्स ने 85,978.25 अंक और निफ्टी ने 26,277.35 अंक का शिखर छुआ था। लेकिन इसके बाद से ही शेयर बाजार में लगातार गिरावट का दौर जारी है। इस पूरी अवधि में सेंसेक्स जहां 17.45 फीसदी टूट चुका है, वहीं निफ्टी में 18.70 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा चुकी है।
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निवेशकों के 5 माह में डूबे 95 लाख करोड़ रुपये:
इस अवधि के दौरान यानी 27 सितंबर, 2024 से 28 फरवरी, 2025 के बीच पांच महीनों में निवेशकों को 95 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। शुक्रवार 28 फरवरी को निवेशकों की संपत्ति में करीब 8.82 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई। निफ्टी में 29 साल बाद सबसे लंबी गिरावट दर्ज की गयी है, जब यह सूचकांक लगातार पांच महीने से पिछले महीने की तुलना में निचले स्तर पर बंद हुआ है। अपने शीर्ष से निफ्टी 4, 152.65 अंक टूट चुका है। आज निफ्टी 22,500 के अहम स्तर से नीचे चला गया है। इस तरह देखा जाए, तो निफ्टी 14 मई, 2024 के बाद सबसे निचले स्तर पर है। 28 फरवरी, 2025 को निफ़्टी 420.35 अंकों (1.86%) की गिरावट के साथ 22,124.70 अंक पर बंद हुआ। वही यदि बात की जाए सेंसेक्स की तो वह भी 1,414.33 अंकों (1.90%) की गिरावट के साथ 73,198.10 अंक पर बंद हुआ है।
इतिहास में दर्ज हुई यह गिरावट:
शेयर बाजार में अब तक की बड़ी गिरावट के लिहाज से देखा जाए, तो यह गिरावट भारतीय शेयर बाजार की इतिहास की चौथी सबसे बड़ी गिरावट के दौर में है। अब तक की सबसे बड़ी गिरावट वर्ष 2008 में 52 फीसदी की आई थी। वहीं, 1994-95 में 31.4% फीसदी की गिरावट आई थी। वर्ष 1996 में 26% फीसदी की गिरावट दर्ज हुई थी। इसके बाद फिलहाल बाजार के ज्यादातर बड़े इंडेक्स 18 से 20 फीसदी तक टूट चुके हैं। यह गिरावट कोविड महामारी के समय की गिरावट से भी बड़ी है। कोविड के दौरान बाजार में करीब 13-14 फीसदी की गिरावट आई थी।
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सरकारी कंपनियों के निवेशकों को हुआ भारी नुकसान:
सरकारी कंपनियों में जोरदार बिकवाली ने निवेशकों की तिजोरी खाली कर दी है। बीते सात महीनों में 25 लाख करोड़ की बाजार पूंजी का नुकसान इस क्षेत्र को हुआ है। निफ्टी PSE इंडेक्स अगस्त 2024 से अब तक 32% गिर चुका है। इतनी बड़ी गिरावट ने ये साफ कर दिया है कि इस बार बाजार की बिकवाली में कोई भी क्षेत्र नहीं बच पाया है। भारतीय शेयर बाजार में गिरावट की बात की जाए तो यह मुख्य: रूप से कई कारणों से देखने को मिल रही है। जैसे- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चार मार्च से मैक्सिको और कनाडा पर शुल्क लगाने की शुरुआत की घोषणा की है। वहीं, चीन पर शुल्क को और बढ़ाने का फैसला किया है। इस घोषणा के बाद एनवीडिया के शेयरों में 8.5 प्रतिशत की गिरावट आई जिसने अमेरिका के आईटी सूचकांक नैस्डैक में भारी गिरावट पैदा कर दी। इसका असर एशिया और यूरोप के बाजारों में दिखाई दिया।
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