नंदा राजजात यात्रा 2026: उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर बनेगी वैश्विक लोक उत्सव।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिए दिशा-निर्देश, पर्यावरण संरक्षण और जनसहभागिता पर रहेगा विशेष फोकस

देहरादून: उत्तराखंड की प्रसिद्ध नंदा राजजात यात्रा को वर्ष 2026 में एक भव्य लोक उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में यह जानकारी देते हुए यात्रा की व्यापक तैयारियों के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह यात्रा न केवल उत्तराखंड की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत है, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का प्रयास किया जाएगा।

मुख्य बिंदु:

🔹 सांस्कृतिक लोक उत्सव के रूप में होगी यात्रा:

यात्रा में स्थानीय समुदाय की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी और सरकार केवल सहयोगी की भूमिका में रहेगी। संस्कृति विभाग को उत्तराखंडी वेशभूषा, लोक संगीत, वाद्य यंत्र और पारंपरिक नृत्य को प्रमुखता देने की जिम्मेदारी दी गई है।

🔹 पर्यावरण और आपदा प्रबंधन पर विशेष जोर:

यात्रा के दौरान सिंगल यूज प्लास्टिक पर सख्त प्रतिबंध लागू किया जाएगा। इसके लिए एक एसओपी (Standard Operating Procedure) तैयार की जाएगी, जिसमें भीड़ प्रबंधन, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के उपाय शामिल होंगे।

🔹 अभिलेखों का संरक्षण और दस्तावेजीकरण:

यात्रा से संबंधित ऐतिहासिक अभिलेखों का संकलन और संरक्षण किया जाएगा। इसके लिए गढ़वाल और कुमाऊं विश्वविद्यालय की मदद ली जाएगी।

🔹 अंतरराष्ट्रीय प्रचार-प्रसार की योजना:

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि भारतीय दूतावासों के माध्यम से विदेशों में भी नंदा देवी राजजात यात्रा का प्रचार किया जाए ताकि वैश्विक श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित किया जा सके।

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सुविधाएं और आधारभूत संरचनाएं होंगी बेहतर:

यात्रा मार्ग उच्च हिमालयी और संवेदनशील क्षेत्र से होकर गुजरता है। इसलिए सरकार ने निम्नलिखित व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं:

  • वैकल्पिक मार्गों का चिन्हीकरण और सुधार।
  • गाँवों में छोटी पार्किंग सुविधाएं, शौचालय, इको टेंट कॉलोनी, पेयजल और विद्युत आपूर्ति।
  • सौंदर्यीकरण कार्य और बेहतर नेटवर्क कनेक्टिविटी।
  • भू-स्खलन संभावित क्षेत्रों में JCB, पोकलैंड और प्रशिक्षित ऑपरेटरों की तैनाती।
  • एक महीने के भीतर स्थाई संरचनाओं की शासकीय स्वीकृति।

यात्रा का ऐतिहासिक महत्व:

यह यात्रा मां नंदा देवी के मायके (कासुवा, नौटी) से ससुराल (होमकुंड) तक की होती है। लगभग 280 किलोमीटर लंबी यह यात्रा 20 दिनों तक चलती है, जो भाद्रपद की नंदाष्टमी से शुरू होती है। यह यात्रा धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। नंदा राजजात यात्रा 2026 को एक ऐतिहासिक, पर्यावरण-संवेदनशील और सांस्कृतिक महोत्सव के रूप में आयोजित करने के लिए सरकार पूरी तरह तैयार है। यह पहल उत्तराखंड की पहचान को वैश्विक मंच पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।

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बैठक में शामिल रहे प्रमुख अधिकारी:

बैठक में पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, विधायक अनिल नौटियाल, विधायक भूपाल राम टम्टा, मुख्य सचिव आनंद बर्धन, प्रमुख सचिव आर.के सुधांश, सचिव नितेश झा, राधिका झा, शैलेश बगोली, पंकज पांडेय, सचिन कुर्वे, आयुक्त गढ़वाल विनय शंकर पांडे, विनोद कुमार सुमन सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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