हरिद्वार जिला अस्पताल की मोर्चरी में शवों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था पूरी तरह चरमराई, जिला अस्पताल की मोर्चरी बनी सवालों का केन्द्र।

गंगा नगरी में बदहाल स्वास्थ्य तंत्र की कलई खुली, मोर्चरी में मची दुर्गंध; शव खुले में सड़ने को मजबूर

हरिद्वार: जिला अस्पताल की मोर्चरी में शवों को सुरक्षित रखने की पूरी व्यवस्था चरमराती नजर आ रही है। सातों डीप फ्रीजर पूरी तरह से खराब हो चुके हैं, जिससे 19 शवों की क्षमता वाली यह सुविधा ठप हो गई है। नतीजतन, करीब 11 शव खुले में रखे गए हैं, जिनसे दुर्गंध उठने लगी है। यह स्थिति न केवल तीमारदारों और मरीजों के लिए कष्टदायक है, बल्कि अस्पताल स्टाफ को भी परेशान कर रही है।

स्वास्थ्य विभाग के दावों की खुली पोल

हरिद्वार जैसे बड़े जिले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही एक गंभीर प्रश्न खड़ा करती है। आए दिन दावे किए जाते हैं कि स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हो रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल विपरीत है। डीप फ्रीजरों के खराब होने और उन्हें समय रहते दुरुस्त न करने से यह स्पष्ट हो गया है कि अस्पताल प्रशासन और जिला प्रशासन दोनों स्तरों पर जिम्मेदारी से बचा जा रहा है।

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जिला प्रशासन ने जिला अस्पताल की मोर्चरी को निष्प्रयोज्य घोषित करते हुए मेडिकल कॉलेज, जगजीतपुर में नई मोर्चरी बनाने का निर्णय तो ले लिया, लेकिन निर्माण कार्य अब तक अधूरा है। ऐसे में न पोस्टमार्टम की समुचित व्यवस्था है और न ही शवों को सुरक्षित रखने की।

शवों की शिनाख्त न होने पर जरूरी होती है कोल्ड स्टोरेज सुविधा

जिला अस्पताल में प्रतिदिन तीन से चार शव पोस्टमार्टम के लिए लाए जाते हैं। इनमें अधिकतर सड़क दुर्घटना या डूबने से मौत के मामले होते हैं। कई बार शवों की शिनाख्त नहीं हो पाती, जिससे उन्हें कई दिनों तक फ्रीजर में सुरक्षित रखना जरूरी होता है। लेकिन अब जब सभी फ्रीजर खराब हैं, तो यह जिम्मेदारी अधूरी और संकटपूर्ण हो गई है।

जून की भीषण गर्मी में खुले में रखे शव सड़ रहे हैं, जिससे पूरे अस्पताल परिसर में बदबू फैली हुई है। यह न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा है, बल्कि एक सभ्य समाज के लिए शर्मनाक स्थिति है। अस्पताल परिसर में बैठना तक मुश्किल हो गया है।

प्रशासन और अस्पताल दोनों सवालों के घेरे में

यह सवाल अब सिर्फ व्यवस्था का नहीं, बल्कि मानवीयता का भी बन चुका है। क्या जिला प्रशासन और अस्पताल प्रशासन के पास इस आपात स्थिति से निपटने की कोई ठोस योजना है? या फिर जिम्मेदारी एक-दूसरे पर डालकर मौत के बाद भी इंसान को बेइज्जती का सामना करने के लिए छोड़ दिया गया है?

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हरिद्वार जिला अस्पताल की मोर्चरी की यह स्थिति सिर्फ एक लापरवाही नहीं, बल्कि पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था की असफलता का प्रतीक है। प्रशासन को तुरंत सक्रिय होकर डीप फ्रीजरों की मरम्मत, वैकल्पिक मोर्चरी की व्यवस्था और पोस्टमार्टम प्रणाली को दुरुस्त करने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।

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