सवांददाता, देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए एकीकृत पेंशन योजना (UPS) लागू करने का निर्णय लिया है, जो 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होगा। इसमें लिए सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी है। यह योजना कर्मचारियों को पेंशन संबंधी दो विकल्प प्रदान करती है: नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और एकीकृत पेंशन योजना (UPS)। कर्मचारी अपनी सुविधा और आवश्यकता के अनुसार इनमें से किसी एक विकल्प का चयन कर सकते हैं।
UPS की प्रमुख विशेषताएं:
- पेंशन राशि: UPS के तहत, कम से कम 25 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति से पहले अंतिम 12 महीनों में प्राप्त औसत मूल वेतन का 50% पेंशन के रूप में प्रदान किया जाएगा।
- पारिवारिक पेंशन: कर्मचारी की मृत्यु की स्थिति में, उसके परिवार को मूल वेतन का 60% पारिवारिक पेंशन के रूप में दिया जाएगा, जो तुरंत प्रभावी होगा।
- न्यूनतम पेंशन: 10 वर्ष की सेवा के बाद सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के लिए न्यूनतम 10,000 रुपये मासिक पेंशन सुनिश्चित की गई है।
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हालांकि, UPS लागू करने के इस निर्णय का कुछ कर्मचारी संगठनों द्वारा विरोध भी किया जा रहा है। पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन (NMOPS) उत्तराखंड शाखा ने इस फैसले के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर दिया है। संगठन ने सांसदों के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित कर अपना आक्रोश व्यक्त किया है और घोषणा की है कि 1 अप्रैल को सभी कर्मचारी, अधिकारी और शिक्षक इस फैसले के विरोध में काला दिवस मनाएंगे। इसके अलावा, 1 मई को मजदूर दिवस के अवसर पर देश की राजधानी जंतर-मंतर पर जोरदार प्रदर्शन की योजना भी बनाई गई है।
NMOPS के प्रदेश अध्यक्ष जीतामणि पैन्यूली ने कहा है कि जब तक सभी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाल नहीं होती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उनका मानना है कि पुरानी पेंशन योजना कर्मचारियों के लिए अधिक लाभकारी थी और UPS में कुछ खामियां हैं, जिन्हें दूर किया जाना चाहिए।
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वित्त सचिव डॉ. वी. षणमुगम द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, UPS को उत्तराखंड राज्य में अंगीकृत करने की राज्यपाल ने स्वीकृति प्रदान की है, और यह योजना 1 अप्रैल 2025 से प्रारंभ होगी। उत्तराखंड में UPS लागू करने का निर्णय सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जो कर्मचारियों को पेंशन संबंधी नए विकल्प प्रदान करती है। हालांकि, कुछ कर्मचारी संगठनों द्वारा इसके विरोध के चलते सरकार को उनके सुझावों और चिंताओं पर विचार करना आवश्यक होगा, ताकि सभी पक्षों के हितों का संतुलित समाधान निकाला जा सके।