वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट (World Happiness Report) 2025: भारत की रैंकिंग में सुधार, लेकिन चुनौतियाँ बरकरार।

नई दिल्ली: संयुक्त राष्ट्र द्वारा 20 मार्च 2025 को जारी वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट (World Happiness Report) 2025 में भारत ने 147 देशों में से 118वां स्थान प्राप्त किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में आठ पायदान का सुधार है। जबकि पिछले वर्ष 2024 में भारत 126वें स्थान पर था।

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
  • शीर्ष स्थान: फिनलैंड ने लगातार आठवें वर्ष सबसे खुशहाल देश का स्थान बरकरार रखा है, उसके बाद डेनमार्क, आइसलैंड और स्वीडन क्रमशः दूसरे, तीसरे और चौथे स्थान पर हैं।
  • भारत की स्थिति: हालांकि भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ है, लेकिन यह अभी भी पाकिस्तान (109वें), नेपाल (92वें), ईरान (100वें), फिलिस्तीन (103वें) और यूक्रेन (105वें) जैसे देशों से पीछे है।
रैंकिंग के मापदंड:

वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट देशों की खुशहाली को मापने के लिए छह प्रमुख कारकों का उपयोग करती है:

  • सामाजिक समर्थन: व्यक्तियों को कठिन समय में सहायता प्राप्त होने की भावना।
  • प्रति व्यक्ति जीडीपी: आर्थिक समृद्धि का स्तर।
  • स्वस्थ जीवन प्रत्याशा: स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और उपलब्धता।
  • स्वतंत्रता: जीवन के महत्वपूर्ण निर्णय लेने की स्वतंत्रता।
  • उदारता: सामाजिक उदारता और परोपकारिता।
  • भ्रष्टाचार की धारणा: सरकार और व्यापार में भ्रष्टाचार का स्तर।

इन मापदंडों के आधार पर, भारत ने सामाजिक समर्थन और उदारता के क्षेत्रों में अपेक्षाकृत कम स्कोर किया है।

इसे भी पढ़ें: ‘लैंड फॉर जॉब’ मामले में लालू प्रसाद यादव से पूछताछ, ED की जांच तेज।
भारत और फिनलैंड की तुलना:

फिनलैंड की लगातार शीर्ष रैंकिंग के पीछे कई कारक हैं:

  • कार्य-जीवन संतुलन: फिनलैंड में कर्मचारियों को भारत की तुलना में कम कार्य घंटे और अधिक वेतन मिलता है। वहां औसत मासिक वेतन 2.36 लाख रुपये है, जबकि भारत में यह लगभग 54,000 रुपये है।
  • सामाजिक सुरक्षा: फिनलैंड में मजबूत सामाजिक सुरक्षा प्रणाली है, जो नागरिकों को व्यापक लाभ प्रदान करती है।
  • भरोसा और पारदर्शिता: फिनलैंड में सरकारी संस्थानों में उच्च स्तर का भरोसा और कम भ्रष्टाचार है, जो नागरिकों की संतुष्टि में योगदान देता है।
भारत के लिए आगे की राह:

हालांकि भारत की रैंकिंग में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ हैं:

  • सामाजिक समर्थन में वृद्धि: समुदायों के बीच सहयोग और समर्थन को बढ़ावा देना आवश्यक है।
  • स्वास्थ्य सेवाओं का सुधार: स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार करना।
  • आर्थिक असमानता को कम करना: आर्थिक अवसरों की समानता सुनिश्चित करना।
  • भ्रष्टाचार में कमी: सरकारी और निजी क्षेत्रों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना।
इसे भी पढ़ें: सुनीता विलियम्स की सुरक्षित वापसी: अंतरिक्ष से धरती तक का ऐतिहासिक सफर।

इन क्षेत्रों में सुधार से भारत की खुशहाली में वृद्धि हो सकती है और भविष्य की रिपोर्टों में बेहतर रैंकिंग प्राप्त की जा सकती है। वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट 2025 में भारत की रैंकिंग में सुधार एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन उच्चतर रैंकिंग प्राप्त करने के लिए सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में समग्र सुधार की आवश्यकता है। सरकार, समुदाय और व्यक्तियों के संयुक्त प्रयास से ही यह संभव हो सकता है।

Related posts