नत्थनपुर वार्ड तक फैला घोटाला, चक तुनवाला-मियांवाला वार्ड में भी खुला राज़
99 फर्जी कर्मचारी बने करोड़ों की लूट का जरिया, नगर निगम घोटाले से हिली देहरादून की सियासत
विशेष सवांददाता: देहरादून नगर निगम में करोड़ों रुपये के वेतन घोटाले का बड़ा मामला सामने आया है। पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि शहर के 100 में से 31 वार्डों में करीब 99 फर्जी कर्मचारियों के नाम पर सालों तक वेतन जारी होता रहा। इन फर्जी कर्मचारियों की सूची बनाकर समितियों के खातों में करोड़ों रुपये हड़प लिए गए।
करीब डेढ़ साल पहले सामने आए इस घोटाले की जांच पुलिस ने तेज कर दी है। स्वच्छता समितियों के अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष से एक महीने तक लगातार पूछताछ हुई। अब पुलिस उन हस्ताक्षरों की जांच कर रही है, जिनके आधार पर वेतन की भारी-भरकम राशि समितियों के खातों में पहुंचाई गई।
इसे भी पढ़ें: उत्तराखंड आपदा पर PM मोदी की बड़ी घोषणा: 1200 करोड़ की सहायता, प्रभावितों को सीधी राहत।
31 वार्डों में हुआ फर्जीवाड़ा
जांच रिपोर्ट में जिन वार्डों में घोटाला सामने आया है, उनमें शामिल हैं –
मालसी, दून विहार, विजय कॉलोनी, श्रीदेव सुमन, वसंत विहार, पंडितवाड़ी, इंद्रा नगर, कांवली, राजीव नगर, लाडपुर, नेहरूग्राम, रायपुर, मोहकमपुर, चक तुनवाला-मियांवाला, लोहिया नगर, माजरा, भारूवाला ग्रांट, बंजारावाला, मोथरोवाला, पित्थूवाला, मेहूंवाला-1, मेहूंवाला-2, आरकेडिया-1, आरकेडिया-2, नत्थनपुर-1, नत्थनपुर-2, नवादा, हर्रावाला, बालावाला, नकरौंदा और नथुवावाला।
नियमों को ताक पर रखकर हुआ भुगतान
सरकारी प्रावधानों के अनुसार कर्मचारियों का वेतन सीधे बैंक खाते में DBT (Direct Benefit Transfer) से जाना चाहिए था। लेकिन जून 2019 से इस प्रक्रिया को बदल दिया गया और पूरा भुगतान स्वच्छता समितियों को कर दिया गया। समितियों ने कर्मचारी सूची निगम को सौंपी और निगम ने बिना जांचे-परखे एकमुश्त राशि उनके खाते में ट्रांसफर कर दी।
भौतिक सत्यापन में खुला बड़ा राज
नगर निगम के उप नगर आयुक्त (विधि) गौरव भसीन ने तीन माह पहले तहरीर दर्ज कराई थी। जांच में पाया गया कि भौतिक सत्यापन के दौरान 99 कर्मचारी मौके पर अनुपस्थित थे। इसके बावजूद उनके नाम पर नियमित रूप से वेतन जारी किया जाता रहा, जिससे निगम को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया।
इसे भी पढ़ें: उत्तराखंड में वर्दीधारी पदों के लिए एक साथ होगी भर्ती परीक्षा: आयु सीमा तय, भर्ती परीक्षा एक ही दिन।
इस घोटाले ने न केवल नगर निगम प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है। इन वार्डों पर भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गज पार्षद काबिज रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में इस वेतन घोटाले का राजनीतिक असर और भी गहराने की संभावना है।