सवांददाता, कोटा: राजस्थान के कोटा में एक और नीट (NEET) अभ्यर्थी ने आत्महत्या कर ली है। यह इस साल का नौवां मामला है, जिसने कोचिंग हब में छात्रों पर बढ़ते दबाव को फिर से उजागर कर दिया है।
हाइलाइट्स:
- राजस्थान के कोटा में एक और नीट (NEET) अभ्यर्थी ने की आत्महत्या।
- मृतक छात्र की पहचान बिहार के नालंदा जिले के निवासी हर्षराज शंकर (17) के रूप में हुई।
- इस वर्ष 2025 में अब तक 9 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं।
- छात्रों द्वारा आत्महत्या के बढ़ते मामलों के पीछे अत्यधिक मानसिक तनाव, परीक्षा का दबाव और परिवार की उम्मीदों का बोझ प्रमुख कारण।
क्या है पूरा मामला?
मृतक छात्र की पहचान बिहार के नालंदा जिले के निवासी हर्षराज शंकर (17) के रूप में हुई है। वह पिछले वर्ष अप्रैल से कोटा में रहकर मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा था और जवाहर नगर इलाके में एक छात्रावास में रहता था। मंगलवार को, छात्रावास के केयरटेकर ने देखा कि हर्षराज ने अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर रखा है और कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है। पुलिस को सूचित किया गया, जिन्होंने दरवाजा तोड़ा और उसे फांसी के फंदे पर लटका पाया। पुलिस के अनुसार, छात्र ने अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। कमरे से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है, लेकिन शुरुआती जांच में अत्यधिक मानसिक तनाव और परीक्षा का दबाव प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।
आत्महत्या के संभावित कारण:
प्रारंभिक जांच में कोई सुसाइड नोट न मिलने के कारण आत्महत्या के सटीक कारणों का पता नहीं चल सका है। हालांकि, कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या के बढ़ते मामलों के पीछे अत्यधिक मानसिक तनाव, परीक्षा का दबाव और परिवार की उम्मीदों का बोझ प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।
कोटा में आत्महत्याओं का बढ़ता ग्राफ
- 2024 में 30 से अधिक छात्रों ने आत्महत्या की थी।
- 2025 में अब तक 9 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं।
- कोटा में हर साल करीब 2 लाख छात्र मेडिकल और इंजीनियरिंग परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं।
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
मनोवैज्ञानिकों और शिक्षाविदों का कहना है कि छात्रों पर अत्यधिक अकादमिक दबाव, परिवार की उम्मीदें और प्रतियोगिता का तनाव। आत्महत्या के पीछे प्रमुख कारण हैं। हाल ही में, सरकार ने कोचिंग संस्थानों को हफ्ते में एक दिन ‘नो स्टडी डे’ रखने की सलाह दी थी। लेकिन इसके बावजूद हालात नहीं सुधर रहे हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया:
कोटा प्रशासन ने इस घटना के बाद सभी कोचिंग सेंटरों को छात्रों की मानसिक सेहत पर विशेष ध्यान देने और नियमित काउंसलिंग सत्र आयोजित करने के निर्देश दिए हैं।
क्या हो सकता है समाधान?
- मानसिक स्वास्थ्य सहायता: छात्रों के लिए नियमित काउंसलिंग सत्र अनिवार्य किए जाएं।
- अत्यधिक पढ़ाई का दबाव कम हो: कोचिंग संस्थान पढ़ाई का तनाव कम करने के लिए नए तरीके अपनाएं।
- परिवार का सहयोग: माता-पिता बच्चों पर अनावश्यक दबाव डालने के बजाय उनका मानसिक स्वास्थ्य समझें।
यह घटना एक बार फिर इस सवाल को जन्म देती है कि क्या देश की शिक्षा व्यवस्था छात्रों को असहनीय तनाव की ओर धकेल रही है?