मुख्यमंत्री के निर्देश पर सख्त कार्रवाई, पुल निर्माण में लापरवाही उजागर; निर्माण गुणवत्ता पर उठे सवाल
प्राणमती नदी पर गिरा निर्माणाधीन पुल
गोपेश्वर: उत्तराखंड के चमोली जिले के थराली विकासखंड में एक बड़ा हादसा उस वक्त हुआ जब दुगी, रतगांव मोटर मार्ग पर प्राणमती नदी के ऊपर निर्माणाधीन मॉड्यूलर वैली ब्रिज धराशायी हो गया। यह पुल बुधवार को निर्माण के दौरान ही ढह गया, जिससे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
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मुख्यमंत्री के निर्देश पर तीन अभियंता निलंबित
इस गंभीर घटना को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने त्वरित संज्ञान लिया और लोक निर्माण विभाग (PWD) के सचिव पंकज पांडे के निर्देश पर तीन अभियंताओं को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। निलंबित किए गए अभियंता हैं:
- दिनेश मोहन गुप्ता (अधिशासी अभियंता, थराली निर्माण खंड)
- नवीन लाल वर्मा (अधिशासी अभियंता, कर्णप्रयाग प्रांतीय खंड)
- आकाश हुडिया (सहायक अभियंता)
इन तीनों अभियंताओं को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है।
जिलाधिकारी के आदेश पर ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर
जांच में सामने आया कि हादसे के वक्त अधिशासी अभियंता दिनेश मोहन गुप्ता छुट्टी पर थे और उनका मोबाइल स्विच ऑफ था। पुल निर्माण की जिम्मेदारी प्रांतीय खंड कर्णप्रयाग के अधिशासी अभियंता नवीन लाल वर्मा के पास थी, जिन्होंने समय रहते आवश्यक निरीक्षण नहीं किया। सहायक अभियंता आकाश हुडिया की ओर से भी लापरवाही बरती गई। इसके आधार पर जिलाधिकारी चमोली के निर्देश पर पुल निर्माण करने वाली फर्म के ठेकेदार के खिलाफ भी आपराधिक मामला दर्ज किया गया है।
बार-बार हो रहे पुल हादसे, निर्माण गुणवत्ता पर सवाल
यह कोई पहली घटना नहीं है जब उत्तराखंड में निर्माणाधीन पुल गिरा हो। इससे पहले भी कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। लगातार हो रही इन घटनाओं ने विभागीय निर्माण कार्यों की गुणवत्ता और निगरानी प्रणाली को कटघरे में ला खड़ा किया है।
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थराली पुल हादसा न केवल एक तकनीकी चूक है बल्कि यह सरकारी तंत्र की निगरानी प्रणाली की भी पोल खोलता है। मुख्यमंत्री द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई सराहनीय है, लेकिन भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए सख्त निगरानी व्यवस्था और निर्माण मानकों की पूरी तरह से पालना अनिवार्य होनी चाहिए।