बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री – चार पवित्र धाम जो दिलाते हैं मोक्ष का मार्ग
खबर यात्रा: भारत को धर्म और अध्यात्म की भूमि कहा जाता है, और इस आस्था को जीवंत करने वाले हैं उत्तराखंड के चार धाम – बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री। ये चारों धाम हिमालय की गोद में बसे हुए हैं और हिंदू धर्म में इन्हें अत्यंत पवित्र माना जाता है। हर साल लाखों श्रद्धालु इन तीर्थों की यात्रा करते हैं जिसे “चारधाम यात्रा” कहा जाता है।
1. यमुनोत्री धाम – यमुना माता का उद्गम स्थल
- स्थान: उत्तरकाशी जिले में स्थित।
- मुख्य देवी: यमुना माता।
- विशेषता: यमुनोत्री से ही यमुना नदी का उद्गम माना जाता है। यहाँ सूर्य कुंड नामक गर्म जल स्रोत और यमुना देवी का मंदिर है। यात्री यहां पकवान सूर्य कुंड में बनाकर चढ़ावा चढ़ाते हैं।

2. गंगोत्री धाम – गंगा मैया का तीर्थ
- स्थान: उत्तरकाशी जिले में।
- मुख्य देवी: गंगा माता।
- विशेषता: गंगा नदी के उद्गम स्थल के रूप में प्रसिद्ध गंगोत्री में स्थित मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने करवाया था। गौमुख नामक स्थान को वास्तविक उद्गम माना जाता है जो गंगोत्री ग्लेशियर में स्थित है।

3. केदारनाथ धाम – भगवान शिव का पावन धाम
- स्थान: रुद्रप्रयाग जिले में।
- मुख्य देवता: भगवान केदारनाथ (शिव)
- विशेषता: बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, केदारनाथ मंदिर समुद्र तल से लगभग 3,583 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ केवल पैदल, डांडी या हेलीकॉप्टर से पहुंचा जा सकता है। मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य ने 8वीं सदी में करवाया था।

4. बद्रीनाथ धाम – भगवान विष्णु का निवास
- स्थान: चमोली जिले में।
- मुख्य देवता: भगवान बद्रीनाथ (विष्णु)
- विशेषता: बद्रीनाथ मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे स्थित है। इसे ‘विष्णु का द्वार’ भी कहा जाता है। मंदिर में भगवान विष्णु की ध्यानस्थ मूर्ति प्रतिष्ठित है। यह धाम पंच-बद्री में सबसे प्रमुख है।

चारधाम यात्रा की विशेषताएं:
- यात्रा काल: आमतौर पर अप्रैल/मई से नवंबर तक, जब मंदिर खुले होते हैं।
- यात्रा क्रम: परंपरागत रूप से यात्रा यमुनोत्री से शुरू होती है, फिर गंगोत्री, फिर केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ।
- सरकारी सुविधाएं: उत्तराखंड सरकार द्वारा यात्रियों के लिए हेल्पलाइन, ऑनलाइन पंजीकरण, स्वास्थ्य केंद्र और आवास की सुविधा दी जाती है।
उत्तराखंड के चार धाम केवल धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति, और हिमालय की अद्वितीय सुंदरता का प्रतीक हैं। यह यात्रा न केवल आत्मिक शांति देती है, बल्कि जीवन को एक नई ऊर्जा और उद्देश्य से भर देती है।