10 मई 2025 को पाकिस्तानी DGMO ने भारतीय DGMO को किया कॉल, शाम 5 बजे से सैन्य कार्रवाई रोकने पर बनी सहमति।

क्या होते हैं DGMO? जानिए भारत-पाकिस्तान के बीच बातचीत की भूमिका में उनकी अहम जिम्मेदारी

नई दिल्ली: भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि 10 मई 2025 को दोपहर करीब 3:30 बजे पाकिस्तान के Director General Military Operations (DGMO) ने भारतीय DGMO को फोन किया। बातचीत के बाद दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि भारतीय समयानुसार शाम 5 बजे से सैन्य कार्रवाई रोक दी जाएगीयह निर्णय सीमा पर बढ़ते तनाव को देखते हुए एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक पहल मानी जा रही है।

सहमति के बावजूद नहीं रुकी सैन्य कार्रवाई

हालांकि भारत और पाकिस्तान के DGMO के बीच बातचीत में यह तय हुआ था कि 10 मई 2025 को शाम 5 बजे से सैन्य कार्रवाई रोकी जाएगी, लेकिन वास्तविक स्थिति इससे भिन्न रहीकई सीमावर्ती इलाकों से मिली रिपोर्ट्स के अनुसार, घोषित समय के बाद भी गोलाबारी और छोटे स्तर पर टकराव जारी रहेइससे यह स्पष्ट होता है कि मौखिक सहमति और ज़मीनी स्तर की स्थिति में अब भी बड़ा अंतर बना हुआ है।

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विशेषज्ञ मानते हैं कि यह एक बड़ी रणनीतिक असफलता हो सकती है। जहां आदेशों का पालन जमीनी स्तर पर नहीं हुआ या जानबूझकर तोड़ा गया। ऐसे हालात सीमा पर तनाव को और बढ़ा सकते हैं और भविष्य में ऐसे संवादों की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करते हैं।

कौन होता है DGMO और इनका क्या काम होता है?

DGMO यानी Director General of Military Operations (सैन्य अभियानों के महानिदेशक), भारतीय सेना के संचालन और रणनीति में केंद्रिय भूमिका निभाने वाला अधिकारी होता है। इस पद की जिम्मेदारी बेहद संवेदनशील और सामरिक होती है।

DGMO के प्रमुख कार्य

  1. सैन्य रणनीति बनाना: युद्ध, उग्रवाद विरोधी अभियान, शांति मिशनों आदि की योजना और निगरानी।
  2. सीमा पर तनाव कम करना: जैसे भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम या युद्धविराम पर बातचीत।
  3. सीधे संवाद: अन्य देशों के DGMO से सीधा संपर्क कर टकराव की स्थितियों को टालना।
  4. अंतर-सेना समन्वय: थलसेना, वायुसेना और नौसेना के संयुक्त अभियानों में तालमेल स्थापित करना।
  5. खुफिया जानकारी का उपयोग: खुफिया एजेंसियों से मिली सूचनाओं को सैन्य योजना में शामिल करना।
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भारत के वर्तमान DGMO कौन हैं?

लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई इस समय भारत के DGMO हैं। उन्हें अक्टूबर 2024 में इस पद पर नियुक्त किया गया था। वे एक अनुभवी सैन्य अधिकारी हैं और विभिन्न संवेदनशील क्षेत्रों में कार्य कर चुके हैं। उनकी नियुक्ति ऐसे समय में हुई जब सीमा पर तनाव बढ़ा हुआ था, और उन्होंने सैन्य रणनीति के साथ-साथ कूटनीतिक संवाद में भी सक्रिय भूमिका निभाई है।

भारत-पाक DGMO बातचीत: क्यों है अहम?

भारत और पाकिस्तान के बीच जब भी सीमा पर गोलीबारी या तनाव की स्थिति बनती है, तो DGMO स्तर की बातचीत एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक औजार बन जाती है। यह केवल तनाव को कम करने में मदद करती है, बल्कि भविष्य में होने वाले संघर्षों को टालने की दिशा में भी कदम होता है।

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DGMO का पद केवल एक सैन्य पद नहीं बल्कि देश की रक्षा नीति और क्षेत्रीय स्थिरता का स्तंभ होता है। भारत के लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई जैसे अधिकारी जब सीमावर्ती तनाव के समय इस पद पर होते हैं, तो उनका अनुभव और रणनीतिक समझ राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा में निर्णायक साबित होती है।

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