सुप्रीम कोर्ट का बैंक-बिल्डर सिंडिकेट पर सख्त रुख, दिए जांच के आदेश।

नई दिल्ली:– सुप्रीम कोर्ट ने बैंक और बिल्डर सिंडिकेट के गठजोड़ को लेकर केंद्र सरकार और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से जवाब मांगा है। कोर्ट ने इस मामले में गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि देश में बढ़ते आर्थिक अपराधों और रियल एस्टेट घोटालों पर सख्त कार्रवाई की जरूरत है।

क्या है पूरा मामला?

हाल ही में एक जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि कुछ निजी और सरकारी बैंक बिल्डरों के साथ मिलकर अवैध ऋण और कर्ज माफी योजनाओं में लिप्त हैं। इससे न केवल बैंकिंग सेक्टर को नुकसान हो रहा है, बल्कि आम जनता की मेहनत की कमाई भी खतरे में पड़ रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बिल्डर कंपनियां बैंक अधिकारियों की मिली-भगत से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोन लेती हैं और बाद में लोन डिफॉल्ट घोषित कर देती हैं। इससे बैंकों को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान होता है, जिसका बोझ अंततः आम नागरिकों पर पड़ता है।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी:

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने CBI को इस मामले में पारदर्शी और निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि “देश में बैंकिंग सिस्टम की पारदर्शिता बेहद जरूरी है। अगर बैंक और बिल्डर आपस में गठजोड़ कर जनता के पैसों का दुरुपयोग कर रहे हैं, तो इस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।” कोर्ट ने केंद्र सरकार से भी एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है, जिसमें बैंकिंग सेक्टर में हो रही अनियमितताओं का विश्लेषण हो।

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CBI को सौंपी गई जांच:

CBI ने इस मामले की जांच के लिए विशेष टीम का गठन किया है, जो उन बैंकों और बिल्डरों की संपत्तियों की जांच करेगी, जिन पर धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। CBI के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि “हम इस मामले की गहन जांच करेंगे और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। यदि कोई भी सरकारी अधिकारी इसमें लिप्त पाया गया, तो उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

बैंकिंग सेक्टर में बढ़ती धोखाधड़ी:
  • 2022-2024 के बीच 10,000 करोड़ रुपये से अधिक के लोन डिफॉल्ट दर्ज किए गए।
  • रियल एस्टेट कंपनियों को दिए गए 30% कर्ज में अनियमितताओं के संकेत मिले हैं।
  • RBI ने भी इस तरह के मामलों में बैंकों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
विपक्ष का हमला:

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि “अगर सरकार की ओर से समय पर कदम उठाए गए होते, तो यह घोटाला इतना बड़ा नहीं होता।” कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बैंकों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता नहीं है, जिससे बड़े व्यापारी और बिल्डर फायदा उठा रहे हैं।

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सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद उम्मीद की जा रही है कि बैंक-बिल्डर सिंडिकेट की गहराई से जांच होगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। यह मामला देश के बैंकिंग सिस्टम की विश्वसनीयता से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस पर जल्द और निष्पक्ष कार्रवाई जरूरी है।

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