सेना की अग्रिम चौकियों के लिए स्थानीय पशुपालकों से भेड़, बकरी और पोल्ट्री उत्पादों की आपूर्ति से किसानों को मिलेगा सशक्त बाजार
चमोली: उत्तराखंड सरकार की ओर से प्रदेश के किसानों और पशुपालकों की आजीविका सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। अब भारतीय सेना स्थानीय किसानों से पशुपालन विभाग के माध्यम से पोल्ट्री उत्पादों की खरीद करेगी। जनपद चमोली में भारतीय सेना की अग्रिम चौकियों माणा और मलारी के लिए पोल्ट्री उत्पादों की पहली खेप रवाना की गई। जिलाधिकारी चमोली संदीप तिवारी ने इस अवसर पर झंडी दिखाकर आपूर्ति वाहनों को रवाना किया।
पशुपालन विभाग की पहल से सीमावर्ती क्षेत्रों के किसानों को मिलेगा स्थायी बाजार
पशुपालन विभाग ने इस योजना के तहत उत्तराखंड की सेना की अग्रिम चौकियों पर स्थानीय स्तर पर उत्पादित भेड़, बकरी और पोल्ट्री उत्पादों की नियमित आपूर्ति का लक्ष्य रखा है। योजना के पहले चरण में पोल्ट्री उत्पादों की आपूर्ति शुरू की गई है।
इसे भी पढ़ें: Big Breaking: शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के समक्ष मंच पर शिक्षकों की समस्याओं को रखने वाले शिक्षक को विभाग ने थमाया नोटिस, मांगा स्पष्टीकरण।
जोशीमठ से रवाना की गई पहली खेप में माणा और मलारी पोस्ट को पोल्ट्री उत्पाद उपलब्ध कराए गए। जो स्थानीय पशुपालक गुलशन सिंह राणा और सौरभ नेगी द्वारा प्रदान किए गए हैं। इस पहल का उद्देश्य न केवल उत्पादन बढ़ाना है, बल्कि स्थानीय पशुपालकों को स्थानीय स्तर पर एक मजबूत और स्थायी बाजार प्रदान करना भी है, जिससे उन्हें उचित मूल्य और नियमित भुगतान सुनिश्चित हो सके।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की पहल की सराहना
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा,
“चमोली से शुरू हुई यह ऐतिहासिक पहल आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में एक महत्वपूर्ण कदम है। सीमावर्ती गांवों के पशुपालकों को स्थायी बाजार मिलेगा, जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और युवा स्थानीय रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि यह योजना ‘वाइब्रेंट विलेज’ योजना को नई दिशा देने के साथ-साथ गांवों से हो रहे पलायन को रोकने में भी सहायक होगी।
इसे भी पढ़ें: बागेश्वर ने जल जीवन मिशन में किया कमाल, देहरादून और अन्य जिले भी 99% लक्ष्य के करीब।
पूर्व में आईटीबीपी के साथ हुआ एमओयू, अब भारतीय सेना के साथ सहयोग
पशुपालन विभाग ने पूर्व में आईटीबीपी के साथ एमओयू किया था, जिससे पशुपालकों को स्थानीय बाजार उपलब्ध हुआ। अब इसी तर्ज पर सेना को भी जीवित भेड़, बकरी और कुक्कुट की आपूर्ति का नया बाजार मिलेगा, जिससे वाइब्रेंट ग्रामों के पशुपालकों को अतिरिक्त आमदनी और रोजगार के नए अवसर प्राप्त होंगे। यह कदम ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन की समस्या को कम करने में भी सहायक साबित होगा।