सरकारी योजना: SC/ST लोक कलाकारों को उत्तराखंड सरकार दे रही, मुफ्त वाद्य यंत्र और पारंपरिक वेशभूषा।

ढोल-दमाऊं से लेकर रणसिंग और मसकबीन मिलेगा निःशुल्क, पारंपरिक संस्कृति को संजोने के लिए कलाकारों को मिलेगा सरकार की ओर से जीवन में एक बार लाभ

देहरादून: उत्तराखंड सरकार द्वारा राज्य की अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) समुदाय के पारंपरिक लोक कलाकारों को बड़ी सौगात दी जा रही है। संस्कृति विभाग की इस योजना के तहत पात्र कलाकारों को निःशुल्क पारंपरिक वाद्य यंत्र (जैसे ढोल, दमाऊं, मसकबीन, रणसिंग, तुरही, नगाड़ा, ढाल-तलवार आदि) एवं पारंपरिक वेश-भूषा प्रदान की जाएगी।

इसे भी पढ़ें: सीएम धामी ने ‘एक देश-एक चुनाव’ को बताया, लोकतंत्र को सशक्त बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम।

पात्रता: कौन उठा सकता है इस योजना का लाभ?

  1. यह योजना केवल अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग के ऐसे लोक कलाकारों के लिए है जिनकी मासिक आय ₹2000/- से अधिक न हो।
  2. एक परिवार से केवल एक ही व्यक्ति को इसका लाभ मिलेगा।
  3. कलाकार को यह लाभ जीवन में केवल एक बार दिया जाएगा।

आवेदन प्रक्रिया: कैसे करें आवेदन?

  1. संस्कृति निदेशालय द्वारा विज्ञापन जारी होने के पश्चात ही आवेदन स्वीकार किए जाएंगे।
  2. पात्र कलाकारों को आवेदन निदेशक, संस्कृति निदेशालय, उत्तराखंड को भेजना होगा।
  3. आवेदन जमा करते समय आवश्यक दस्तावेज़ और पात्रता प्रमाण-पत्र संलग्न करना अनिवार्य होगा।

उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को मिलेगा नया आयाम

इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य की पारंपरिक लोक-संस्कृति को जीवित रखना और उसे बढ़ावा देना है। ढोल-दमाऊं, मसकबीन, रणसिंग जैसे वाद्य यंत्र पहाड़ों की लोक-परंपरा का प्रतीक हैं। जिनका प्रयोग आज भी लोकगीतों, नृत्यों और धार्मिक आयोजनों में होता है। सरकार का यह कदम लोक कलाकारों को न केवल आर्थिक सहायता देगा, बल्कि उनकी कला को मान्यता भी दिलाएगा।

इसे भी पढ़ें: Nanda Gaura Yojana: उत्तराखंड में ‘नंदा गौरा योजना’ का लाभ पाने के लिए 31 मई तक बढ़ी आवेदन की अंतिम तिथि।

योजना से जुड़ी जानकारी कहां से प्राप्त करें?

इस योजना की विस्तृत जानकारी सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग, उत्तराखंड (Uttarakhand DIPR) की आधिकारिक वेबसाइट www.uttarainformation.gov.in पर उपलब्ध है।

Related posts

Leave a Comment